
भारी भीड़ है हाट मॉल में हर ओर है खुशहाली छाई, सबके चेहरे की रौनक देख मन में चाहत है भर आई । काश! कोई कह दे...... घर आ जाओ, कि आज दीवाली आई है। झाड़ू, पोंछा लिए हाथ में सभी लगे करते हैं सफ़ाई, दमक रहा घर का हर-कोना बच्चों से है रौनक आई। पर मेरे मन में एक ही चाहत काश! कोई कह दे...... घर आ जाओ कि, दीवाली आई है। सभी स्वजन भागते घरों को 'माँ' हैं उनकी बाट जोहती पर, एकदम मेरा मन सूना, अंतरतम है विकल हुआ बार-बार, फिर भी यह आता काश! कोई कह दे...... घर आ जाओ कि, दीवाली आई है।
-स्मिता देवी शुक्ला

Very nice and heart touching poem ma’am😘👏
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Heart Piercing poem👏👏
Very nice 🙃🙃
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Heart touching 💜
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