काश! कोई कह दे……

भारी भीड़ है हाट मॉल में
हर ओर है खुशहाली छाई,
सबके चेहरे की रौनक देख
मन में चाहत है भर आई ।
काश! कोई कह दे......
घर आ जाओ, कि आज दीवाली आई है।
झाड़ू, पोंछा लिए हाथ में
सभी लगे करते हैं सफ़ाई,
दमक रहा घर का हर-कोना
बच्चों से है रौनक आई।
पर मेरे मन में एक ही चाहत
काश! कोई कह दे......
घर आ जाओ कि, दीवाली आई है।
सभी  स्वजन भागते घरों को
'माँ' हैं उनकी बाट जोहती
पर, एकदम मेरा मन सूना,
अंतरतम है विकल हुआ
बार-बार, फिर भी यह आता
काश! कोई कह दे......
घर आ जाओ कि, दीवाली आई है। 

-स्मिता देवी शुक्ला

Published by kamal shukla

जन्म स्थान- प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश . इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए. एवं एम. ए. (हिंदी) , राजर्षि टंडन विश्वविद्यालय से एम. ए. (शिक्षा शास्त्र), फरवरी 2000 से केन्द्रीय विद्यालय संगठन मे स्नातकोत्तर शिक्षक के पद पर कार्यरत।

3 thoughts on “काश! कोई कह दे……

Leave a reply to Miss Squirrel🐿 Cancel reply