नई सदी की नई रीति है शिक्षा की अब नई नीति है। लागू होगी जल्दी है कब ? लेकिन आस लगी है जो अब। बीच डगर छूटी जो कक्षा सर्टिफिकेट मिलेगा, शिक्षा। करी पढ़ाई जाए न खाली होगी जीवन में न बेहाली। बुनियादी लेवल है आली कदम कदम पर करो क़व्वाली। चार चरण का शिक्षा-खंभ चंपा पढ़ना करे आरंभ । खत्म हुआ दुर्दिन का दम्भ हो जब नव शिक्षा का प्रारम्भ। भाषा के दिन वापस आए जीवन जीना ए सिखलाए। भारत की स्वर्णिम भाषाएं लोगों के चेहरे खिल जाएं। कोई भी पढ़ सके विषय संकाय विभेदक, बात व्यर्थ । कक्षा, जिसकी जितनी रुचि हो पाठों में सर्जन शुचिता हो। आदर्शवाद की बात गई असली आई, इक सोच नई । जिसकी जितनी है आवश्यकता शिक्षण की वैसी व्यापकता। ड्राप आउट का केस न होगा कोई भी अब फेल न होगा । कब है शुरू, है कहाँ ख़तम न कोई करेगा नाक में दम । अब साल गए का खेल न होगा हंसी खेल में अधिगम होगा । नैराश्यवाद जग से भागेगा जीवन सबका सफल बनेगा। इतनी अच्छी नई नीति है प्रीति की जितनी रीति नई है । पटाक्षेप तो होने दो नया सत्र तो आने दो । महादंश को जाने दो नव प्रभात को आने दो। संचालक देश का नागर है अच्छे दिन का सागर है ।



-कमल चन्द्र शुक्ला

We got the summary of NEP here😄……good poem composed using such a good vocabulary
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Sir बहुत ही नवीनतम तकनीकी सोच है आपकी
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सुन्दर रचना !
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☝️👌✌️💯
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Achchi kavita banaye ho aap sir👍
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Sir bhut hi jyada achha isse sunkar man
Prassan ho gya hai
😍
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Thanks dear
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सर , बहुत ही प्यारी कविता है।
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Thanks
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