क्या गजब का देश है यह

क्या गजब का देश है यह
बस ,अजब का देश है।
चूमती है आसमां
गगनभेदी घोष स्वर
मैं खड़ा चुपचाप सुनता
विश्व दैव का रुष्ट गर्जन
अब यहां पर नाग सारे
अनीति  अव्यवस्था के अखाड़े
सम्मान करना न्याय का जो
जन्म से ही नहीं जाने
देश के जनादेश का अद्वितीय नेता
अनवरत अग्रसर है जो बनने को विश्व अगुआ
सब सार्क देश सहर्ष माने
पर पाक तो नापाक बिगवा
अब हरे होकर बाग भी
अर्जित वसीयत त्याग दी
पत्थरों के बल  गोलियों की
हद क्रूरता की पार की
शब्द जब भी  चुप हो जाए
मौन ही तो बोलता है ।
सप्त दस वर्षों की बेड़ी
है वही जो काटता है।
सहन होता है नहीं यह
निर्गुणी को देखकर
पंथ धरम की ओट में
धुंधलके वह फिर  बनाता
सावधान गणमान्य  जन _गण
आत्म _श्लाघा छोड़ दो
इक नया मानक  बनाओ
समत्व योग की बात कर लो___

-कमल चन्द्र शुक्ल

Published by kamal shukla

जन्म स्थान- प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश . इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए. एवं एम. ए. (हिंदी) , राजर्षि टंडन विश्वविद्यालय से एम. ए. (शिक्षा शास्त्र), फरवरी 2000 से केन्द्रीय विद्यालय संगठन मे स्नातकोत्तर शिक्षक के पद पर कार्यरत।

5 thoughts on “क्या गजब का देश है यह

  1. महोदय, राजनीति एक ऐसा हमाम है जिसके अंदर सभी निर्वस्त्र होते हैं!

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