
मैं लेकर पहुंच गया हूं,
जो मां ने दी थी राखी
चुपचाप।
रात-दिन की बिना परवाह किए
अपने मामा के घर ।
मां ने कान में
धीरे से कहा था,
बताना मत किसी से
कि मैं तुझे मां की राखी लेकर
बहुत दूर रह रहे एकाधिपति
साम्राज्य के मालिक
चंद्रदेव मामा के पास
भेज रही हूं।
मैं शनैः शनैः चलकर
आज पहुंच गया हूं ।
कल से बहुत कुछ बातें
मुझे आपसे बतानी है
मामा की शान, धन संपदा
माहौल, समाज और रोब
आज के लिए बस इतना ही
शेष कल....
-कमल चन्द्र शुक्ल

adorable!
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