चंद्रयान

मैं लेकर पहुंच गया हूं, 
जो मां ने दी थी राखी
चुपचाप।
रात-दिन की बिना परवाह किए
अपने मामा के घर ।
मां ने कान में
धीरे से कहा था,
बताना मत किसी से
कि मैं तुझे मां की राखी लेकर
बहुत दूर रह रहे एकाधिपति
साम्राज्य के मालिक
चंद्रदेव मामा के पास
भेज रही हूं।
मैं शनैः शनैः चलकर
आज पहुंच गया हूं ।
कल से बहुत कुछ बातें
मुझे आपसे बतानी है
मामा की शान, धन संपदा
माहौल, समाज और रोब
आज के लिए बस इतना ही
शेष कल....

Published by kamal shukla

जन्म स्थान- प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश . इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए. एवं एम. ए. (हिंदी) , राजर्षि टंडन विश्वविद्यालय से एम. ए. (शिक्षा शास्त्र), फरवरी 2000 से केन्द्रीय विद्यालय संगठन मे स्नातकोत्तर शिक्षक के पद पर कार्यरत।

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