देश की सरहदों पर पराक्रम का राफेल संरेख वर्दियों में छिप्रतम कटार के ऐतिहासिक आलेख मैं विश्वप्रेम सिखाता, दीवाली पर्व का आलोकन करता खड़ा हूँ। किसान के खेतों में छोटे छोटे लोन की क़िस्तों में खाद पानी बिजली की समस्याओं में स्थानीय गुप्त दस्युओं के आघातों में समृद्ध उजालों की रोशनी की आस में जीवन भर पिसते किसानों के साथ मैं चिंतातुर पत्रकार बनकर खड़ा हूँ डिग्री-धारी, बुज़ुर्ग पढाकों के संग डाक घर की छोटी खिड़कियों के सामने साइबर कैफे की कुर्सियों पर ऊँघते विभिन्न साइटों पर नौकरी की खोज करते शिक्षित बेरोजगारों की भीड़ संग मैं गांधी दर्शन पर विचार करते नौकरी के लिए खड़ा हूँ । जातिवाद,वर्ग भेद के समीकरणों भाषावाद के टूटते व्याकरणों आरक्षण की भाषा की रासायनिक गतिविधियों में भ्रमित समुदाय के साथ राजनीति की जलेबी की चाशनी में न्याय की प्रयोगशाला में भ्रमित मैं सुप्रीम कोर्ट की तरफ टकटकी लगाए न्याय की आस में मैं खड़ा हूँ । माया बाजार की कुटिल चालों में राजनीति की अनबूझ राहों में बेखौफ अनजान प्रेस के आगे कुछ कर सकने की आशा में इंतजार में बैठी, असहाय भोली, जनता के धुंधले भविष्य को देखता नया निष्कर्ष निकलने की आदर्श की नाव को किनारे की ओर निहारता मैं वहां हूँ । संसद के गलियारों में बिलों के गैर प्रस्तावित बहसों में नूरा कुश्ती हेतु बनी सतहों पर नई शिक्षा नीति के भिन्न भिन्न वेबिनारों में लालसाहीन, निष्फल परिणाम लिए विज्ञ व्यक्तियों की मूक पंक्तियों में तथाकथित पुरानी सलाहों को जबरन आत्मसात करने के लिए मैं शिक्षक बनके खड़ा हूँ
-कमल चन्द्र शुक्ल

Waah!!
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प्रेरणा के लिए साधुवाद
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🙏🌈🙏
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बहुत ख़ूब👌
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