
रात दीवाली भली है आली, तेरी खातिर सभी है चाली । चाल-ढाल है कुरंग वैसी, मदालसा की मादक जैसी । वर्ष एक है पूरा जाता, सुख, सौहार्द्र का दीपक आता । मिट्टी की महिमा बतलाने, देव दनुज धरती पर आते । संघर्षों की कथा सुनाने पंच पर्व का जश्न मनाते । दिव्य प्रेरणा स्रोत है दीपक, संघर्ष सनातन सिद्ध किया । अजर है तेरा पौरुष मानव, पर्वत पार के राह बनाया।
-कमल चन्द्र शुक्ल

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