नमन उस हस्ती को जो अखबार की सुर्खियों के लिए नही गरीबों असहायों की मदद करता बिना नामचीन बने तैयार है । गुपचप अर्थनगरी में रहकर भी आधुनिक भामाशाह की भूमिका में। चकाचौध से दूर, स्व की चिंता से विरत जबकि बड़े बड़े स्वघोषित शहंशाह सुरा सरिता में आकंठ चोरी छिपे मदमस्त डूबे हैं, ढोल की सी काया लेकर। मुझे आश्चर्य होता है कि ऐसा हीरा कहाँ की बेनाम खदान में तैयार होता है। सोनू सूद जैसे लोगो की दृष्टि को नत नमन है शतसः नमन है उनकी भावना को जो बिना मंदिर मस्जिद गए त्याग व दान की असली मिसाल है। अकाल में बारिश बने गरीबों के हो बेनाम मसीहा स्वार्थ हीन बुद्धिजीवियों के लेखन की स्वर्णिम -पंक्ति हो।


-कमल चन्द्र शुक्ल

There are good people in this world……all you need is a
unbiased perspective to find them out☺.By the way,nice poem😄👌👌
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👌💯😎😍👍
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Nice Poem Sir
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