प्रभु जी ! बहुत कष्ट जग पायो

प्रभु जी ! बहुत कष्ट जग पायो
दूर करो हे दीन बंधु दुख
रोग कोरोना भगाओ।
सूनी  सड़क है, गली उजड़ गई
शहर थम गया, ज़िन्दगी रो गई
डरा कामगार बैठा खाली
आगे खेती की भी अकाली
मन मे धक धक करे बवाली
घर बाहर पैठ रहा है कराली
प्रभु जी ! बहुत कष्ट जग पायो |
ये कैसे संजोग बन रहे,
नाते रिश्ते दूर हो रहे,
डर ऐसे कि आत्मा काँपे,
रोग दोष कैसे हम भांपे,
सुख दुख में कैसे कोई आवे,
जनम मृत्यु की रीति निभावे,
एक अकेला क्या कर पावे,
मिलकर चलने की बात न होवे,
प्रभु जी  ! बहुत कष्ट जग पायो |
कहो कोरोना को करे पलायन,
विनती करे सकल जग-तारन,
बहुत दंड पा गए नारायण,
हरहु सकल-दुख दीनन के जन,
द्रुपद-सुता जस करें आवाहन,
प्रभु जी ! बहुत कष्ट जग पायो |

-कमल चन्द्र शुक्ल

Published by kamal shukla

जन्म स्थान- प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश . इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए. एवं एम. ए. (हिंदी) , राजर्षि टंडन विश्वविद्यालय से एम. ए. (शिक्षा शास्त्र), फरवरी 2000 से केन्द्रीय विद्यालय संगठन मे स्नातकोत्तर शिक्षक के पद पर कार्यरत।

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