
सन् बीस बड़ा बेदर्द है आज सुपर पावर की जमीं पे फैल गया आतंक है। बड़े बड़े जनप्रिय शहरों में कर्फ्यू की खबरें गर्म है। बंकर में बन शाही बंधक वह जॉर्ज बीस डॉलर का घातक बीस-बीस का शब्द है ऐसे लुका छिपी का प्रलय हो जैसे अमरीका रूस कोरिया फ्रांस चाइना सहे न किसी की धौंस। विष का है ये मर्म छिपाए ज़हर दंश सब जन को खाएं । अर्थ जगत के महायुद्ध में कौन बने अब नीलकंठ। कौन बड़ा है को है छोटा हर कोई सेठ बना है मोटा सब ले तैयार बमों का सोंटा सागर उफन रहा है खोटा। देव दनुज के रूप मनुज-बल आयुध सहित प्रशिक्षण दमकल दीप महासागर में हलचल अटल कहें! अब युद्ध न होंगे चीन कोरिया चुप कब होंगे। कल के सूरज का पता नहीं ! सन् बीस बड़ा बेदर्द है। दुनियां को बचाना परम धर्म है।
-कमल चन्द्र शुक्ल

Your poems are good as heaven😇.Keep up the good work👏.
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Ati uttam 👍
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Beautiful
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