चंद्रयान

मैं लेकर पहुंच गया हूं, जो मां ने दी थी राखी चुपचाप। रात-दिन की बिना परवाह किए अपने मामा के घर । मां ने कान में धीरे से कहा था, बताना मत किसी से कि मैं तुझे मां की राखी लेकर बहुत दूर रह रहे एकाधिपति साम्राज्य के मालिक चंद्रदेव मामा के पास भेज रहीContinue reading “चंद्रयान”