मैं कोरोना ब्याल हूँ।

मैं कोरोना ब्याल हूँ। विश्व व्यापी त्रासदी का जाल हूं। मैं काल का कुंचित कपाल विध्वंशकारी शक्तियों की मैं विशाल, मशाल हूं। घूरकर मुझको न देखो अतिथि हूं मैं चीन का । घूमने मै निकल आया साथ जो थे चीन में। मै तो वापस जाऊंगा ही पर कल्याण सोचो विश्व का। आत्मकेंद्रित हो गए । विकास के बियावान काContinue reading “मैं कोरोना ब्याल हूँ।”