आज जब मै घर से निकला शहर के लिए, तो देखा! पिता बड़े उदास हैं। देखा बड़े गौर से आकाश सी सीमा को समेटे पिता के व्यक्तित्व को । यकीन मानों मैं हिल गया देखते ही रह गया था जिसमें हैं असीम सामंजस्य की शक्ति जो पिछले चालीस वर्षों से बस, ऐसे ही बने हुएContinue reading “पिता…”