पाठशाला हम चलें……..

ऊबते मन की कहानी वेब वर्ल्ड के जाल की, जिसको पाने की खातिर ही नैतिक मूल्यों की तोल की। बहुत सोचा ऑनलाइन फिर भी जान न पाया है, है प्रबल तुम्हारी सोच कल्पना सर्वत्र गगन, थल साया है। झूठ तो बिल्कुल नहीं है, पर सच के भी कहां करीब ? मैं छू नहीं सकता तुम्हें, परContinue reading “पाठशाला हम चलें……..”