अलविदा लॉकडाउन

देश की बंदी खोल गई वह इतनी बातें बोल गई जिसका था न कहीं हिसाब न है जिसकी कोई किताब।। नैतिक मूल्यों की गठरी से चुपके से कितने निकल गए दस हफ्तों के इस संकट में बालू जैसे सब फिसल गए । जीवन कौशल के कई नियम इस इम्तहान में फेल हुए सत्य धैर्य को छोड़Continue reading “अलविदा लॉकडाउन”