थम जाना नहींनित जीवन के संघर्षों से,राह में आए कितनी भी बाधाएँ,देख उन्हें घबराना नहीं ।दुःख का साथी न मिले तो,छिप-छिप अश्रु बहाना नहीं।मन किसी की कटुवाणी सेअपना आहत करना नहींज़िंदगी में कभी उदास न होनाकभी किसी बात पर निराश न होनाये ज़िंदगी एक संघर्ष है, चलती ही रहेगीकभी अपने जीने का अंदाज़ न खोना। Continue reading “रुकना नहीं।”
Author Archives: kamal shukla
भाग कोरोना, भाग
जनमानस में फैला बवाल है,कोरोना ने मचाया कैसा कोहराम है?सूनी पड़ी हैं सभी गलियां,गली-कूचे वीरान हैं।हर ओर बेचैनी छाई,हाय! ये विपदा कैसी आई।हमने भी है मन में ठाना,हार इससे न है मानना।एकता की मिसाल भारत,सुख-शांति की मसाल जलाएगा।कायम रखेगा एक और ग्यारह की रीति कोरोना को दूर भगाएगा। -कमल चन्द्र शुक्ल
एक मुलाकात
रात मेरी मुलाकात,सफलता से हो गई।जिसे देखकर मैं हुई पुलकितमंद-मंद मुस्कराती बोल गईबहन! तुम इतना क्यों इतरातीसब पाना चाहें तुम्हें,पर किसी के हाथ योंसहज क्यों नहीं आ जाती। सुनकर ये मेरे शब्दओ हँसकर बोली,बतलाती हूँ मैं ये रहस्यमत समझो मुझे पहेली।सतत करो कर्मपरिश्रम से मत भागो तुम,जब तक न मिले मंज़िल ,नींद, चैन को त्यागोContinue reading “एक मुलाकात”
अनुरोध
हे नेतृत्व की सहज सत्ता विचलित न होना तुम कहीं विघटनकारी शक्तियों के सामने झुकना नहीं । भितर घाती दस्युओं की, शर्मसार बहसों में आंदोलनकारी फरेबियों की मूढ़ता में, जिन्हें खरपतवार व पेड़ समान नजर आते हैं, अवांछित बेपेंदे के लोटों से उलझकर जनहित का अवसर खोना नहीं। कुछ असमय असफलताओं से विचलित न होना,Continue reading “अनुरोध”
मेरी परीक्षा
घर में चल रही अंतिम पेपर की तैयारी, देश में विकराल फैली कातिल चीन की महामारी। सहसा मेरी आत्मा, सपनों में उतर गई । हो रही युग परीक्षा की, तस्वीर फ़्लैश बैक हुई। साथ बैठी लड्डुओं के, मैं विनय करने लगी। मिष्ठान्न समर्पित आपको पेपर मेरा कराइए, हे महावीर, पवनपुत्र, संपूर्ण अंक दिलाइए। आसन्न संकटContinue reading “मेरी परीक्षा”
विरुद्धों का सामंजस्य
जन्म से मृत्यु तक घर हो या बाहर राजनीति के इतर और उतर भी सर्वांग इसकी उपस्थिति बस इक सोच ही है जो चयन की नियति तय करती है । बिना इसके गति शीलता नहीं प्रगति या परिवर्तन की आशा नहीं जीवन के समत्व व सौहार्द्र की । लेकिन हम तो ऐसे हैं कि मानतेContinue reading “विरुद्धों का सामंजस्य”
शंखनाद
बहुत देख चुकी जनता मेरी, तेरी लुका-छिपी का खेल । अब अंत तुम्हारा आ ही गया है, तेरे इति की बन गई रेल । अंतिम तारीख नियत हो चुकी, अब तेरा जाना निश्चित है। हो रक्तबीज, क्रूरता के साथी, तेरी अंतिम घड़ी सुनिश्चित है। रे आततायी, महा असुर, तुम चुपके-चुपके आए थे । दोस्ती काContinue reading “शंखनाद”
क्या गजब का देश है यह
क्या गजब का देश है यह बस ,अजब का देश है। चूमती है आसमां गगनभेदी घोष स्वर मैं खड़ा चुपचाप सुनता विश्व दैव का रुष्ट गर्जन अब यहां पर नाग सारे अनीति अव्यवस्था के अखाड़े सम्मान करना न्याय का जो जन्म से ही नहीं जाने देश के जनादेश का अद्वितीय नेता अनवरत अग्रसर है जोContinue reading “क्या गजब का देश है यह”
कर्फ्यू की शाम
ये करोना है भयानकत्रासदी का कारखानाजो न संभले अब तलक तोख़ाक होगा जीम _खानापागल प्रलय की तलहटी सेयह जो निकला चीन तक्षकराक्षस बड़ा वीभत्स हैदुनिया में दिखता ध्वंस है।वो तो अपनी नासमझ बसकहें जी ! हम न करो नानाम चीनी अल्पसंख्यकजो किया जी खुद करो नआओ समझ लो दोस्तोंपर दोष देना छोड़ देंकुतर्क जाल सेContinue reading “कर्फ्यू की शाम”
मधुमास होती हैं बेटियां
घर-आँगन की रौनकदिल की मधुर झंकार होती हैं बेटियाँ,मधुमास होती हैं बेटियाँ।मात-पिता के कलेजे का टुकड़ाबहन की संगी, भाई की परछाईहँसमुख, चंचल, धीर-गंभीर होती हैं बेटियाँमधुमास होती हैं बेटियाँ।ग्रीष्म ऋतु में शीतल बयारपावस की रिमझिम फुहारशरद का गर्म अहसास होती हैं बेटियाँ,मधुमास होती हैं बेटियाँ।मत छीनो इनके बचपन को,दे दो इनका हक, अधिकारसँवारो इनके जीवनContinue reading “मधुमास होती हैं बेटियां”