तुम्हीं ज़िंदगी, तुम्हीं हमराज हो।तपती रेत में, शीत का अहसास हो।ठिठुरती ठंड में, गर्म का आभास हो।होठों की हँसी,चेहरे की मुस्कान हो।तुम्हीं हर सुर, तुम्हीं हर साज हो।घनघोर तिमिर में, आस का प्रकाश हो।तुम्हीं हर खुशी, तुम्हीं मेरा नाज हो।तुम्हीं मेरी धड़कन, तुम्हीं आवाज़ हो।तुम्हीं मेरे सरसिज, तुम्हीं सुबास हो।तुम्हीं हो मेरे कल, तुम्हीं अद्यContinue reading “तुम्हीं….”
Author Archives: kamal shukla
स्वच्छ भारत : स्वस्थ भारत
दादा जी नित दिन उपवन में, करने सैर को जाते, देख प्रकृति का मोहक रूप, मन ही मन हर्षाते। प्रतिदिन का यही क्रम था, प्रात:काल वे आते, रंग-बिरंगे फूल, उनके मन को खूब भाते। करते खूब योग-व्यायाम, कुछ पल वहीं बिताते, हंसते-खेलते बच्चों के मुख, उनको बहुत लुभाते। धमाचौकड़ी खूब मचाती, उन बच्चों की टोली,Continue reading “स्वच्छ भारत : स्वस्थ भारत”
नन्ही गुड़िया
मैं बाबा की नन्ही गुड़िया,लगती जैसे जादू की पुड़िया।उनकी हूँ मैं राजदुलारी,जैसे फूलों से महकी फुलवारी।दिन भर उनके संग मैं खेलूँ,भागूँ, दौडूं, कंधे पर चढ़ लूँ।ले लेते वो मेरी सारी बलैया,संग नाचे वो ता-ता थैया।थाम के उँगली चलना सीखा,जीने का उनसे मिला सलीका।जान से उनकी मैं हूँ प्यारी,घर-आँगन में चहकूँ, मैं सुकुमारी। आशीष तेरा मैंContinue reading “नन्ही गुड़िया”
चुनाव
साल भर की अटकलें जर्जरित दिल की धड़कने युवा मन की चाहतों को आत्म रति के नायकों को आज विराम मिल गया और चुनाव हो गया । विपक्षी उम्मीदवारों को, राजनीति के सफर में बुढ़ाते श्वेत वस्त्र धारियों की, लप लपाती जीभ की सर्वोच्च पद प्राप्ति की चिर अपेक्षा औ महत्वाकांक्षा पर घड़ों पानी पड़Continue reading “चुनाव”
पौधे की पुकार
भीषण दुपहरी के उतरने पर आवास के प्रांगण में सुबह के हंसते हरे पौधे को सिर झुकाए, गुस्से में तप्त देखा, एकाएक शिकायती लहजे में बोला । माना कि गर्मी बहुत है लेकिन आप तो अपनी व्यवस्था में पूरे मस्त हैं ठंडई, नींबू पानी बहुत कुछ तमाम फलाहारी मेरे लिए पानी भी भारी। भूल गएContinue reading “पौधे की पुकार”
दक्षिणा
अनंत फलों को देने वाली पवित्र बुद्ध पूर्णिमा पर सत्तारूढ़ मंत्री महोदय विष्णु भगवान की कथा के दौरान शास्त्रीय पंडित जी से उलझ गए और बार बार हर मंत्र पर दक्षिणा चढ़ाने पर जोर देने से भड़क गए। बोले, एक बार दक्षिणा देने के बाद फिर क्यों मांगते हो कुछ शर्म भी करो, एक हीContinue reading “दक्षिणा”
तुलना
कैसे करते हैं लोग तुलना किसी की, क्योंकि मैं सदा ही यहां लोगों को असफल ही पाता हूँ । मूल की छाया प्रति भी कभी समान होती है क्या ? भले ही कितने मेगा पिक्सल का हो कैमरा ? माँ की जैसी फोटो कही बन पाती है ? पता लगाया क्या ? मिलना दुष्कर हीContinue reading “तुलना”
बदलाव
गांव के जन कोलाहल में खेत और खलिहान में बुवाई हो या मड़ाई या हो गन्ने की कटाई आफ़त बिपत में भी गुहार की आर्त पुकार में एक दूसरे से मनमुटाव के बावजूद लोग मदद के लिए आ जाते थे। शादी विवाह के विविध लोकाचारों में धर्म जाति की दीवारों को लांघ आई बारात काContinue reading “बदलाव”
देश की उड़ान
ये देश है वीर-जवानों का, साहस है जिनकी शान। जय-जय भारत देश महान, जय-जय भारत देश महान.. देशहित में कर जाएँ हम, अपनी जान भी कुर्बान। जय-जय भारत देश महान, जय-जय भारत देश महान… धैर्य, दया, प्रेम, त्याग है जिसके कण-कण की पहचान। जय-जय भारत देश महान, जय-जय भारत देश महान… नारी पूजी जाती घर-घरContinue reading “देश की उड़ान”
राजनीति का पहिया
राजनीति की समय-शिला पर छोर बदलते देखा है । समय की तलहटी के पास पलट कर जब मैं जाता हूँ यक़ीनन शर्म से अपने को घिरा खुद को ही पाता हूँ । मैं कैसे खुद को समझाऊँ कि हम तो मन के सच्चे थे । जो उनके पक्ष में बैठे हमें वे जनप्रिय दिखते थे।Continue reading “राजनीति का पहिया”