
साल भर की अटकलें जर्जरित दिल की धड़कने युवा मन की चाहतों को आत्म रति के नायकों को आज विराम मिल गया और चुनाव हो गया । विपक्षी उम्मीदवारों को, राजनीति के सफर में बुढ़ाते श्वेत वस्त्र धारियों की, लप लपाती जीभ की सर्वोच्च पद प्राप्ति की चिर अपेक्षा औ महत्वाकांक्षा पर घड़ों पानी पड़ गया, और चुनाव हो गया । सत्ता-लोलुप चाहतों को पद लोलुप भुक्खड़ों को मौकापरस्त जयचंदों को सिराजुद्दौला के दुश्मनों को सत्ता की सधी शक्तियों ने दरकिनार कर दिया, और चुनाव हो गया। अंधेरों के तीरंदाजों को रंगे सियार के आदर्शों को मानने वाले व्यक्तित्वों को दूर, अस्ताचल का पतंग दिखाकर तुमुल नाद एवम जयघोष कर पतंग सी हल्की, कपास सी स्वच्छ ऊर्जस्वित नारी के, देश के सर्वोच्च सिंहासन पर बैठते ही खेला समाप्त हुआ, पूर्ण विराम दिख गया और चुनाव हो गया।
-कमल चन्द्र शुक्ल
