रात दिवाली

रात दीवाली भली है आली,
तेरी खातिर सभी है चाली ।
चाल-ढाल है कुरंग वैसी,
मदालसा की मादक जैसी ।
वर्ष एक है पूरा जाता,
सुख, सौहार्द्र का दीपक आता ।
मिट्टी की महिमा बतलाने,
देव दनुज धरती पर आते ।
संघर्षों की कथा सुनाने
पंच पर्व का जश्न मनाते ।
दिव्य प्रेरणा स्रोत है दीपक,
संघर्ष सनातन सिद्ध किया ।
अजर है तेरा पौरुष मानव,
पर्वत पार के राह बनाया।

-कमल चन्द्र शुक्ल

Published by kamal shukla

जन्म स्थान- प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश . इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए. एवं एम. ए. (हिंदी) , राजर्षि टंडन विश्वविद्यालय से एम. ए. (शिक्षा शास्त्र), फरवरी 2000 से केन्द्रीय विद्यालय संगठन मे स्नातकोत्तर शिक्षक के पद पर कार्यरत।

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