
हम इन दशकों में भटक गए हैं। बीते बीस बरस से लिख-लिखकर हार गए इंडिया विजन 2020 हो गए ढाक के तीन पात से हम दशकों से भटक गए हैं - चपला की इस चकाचौंध से दिया की बाती रुदन कर रही मिग मिराज के जोर-शोर पर मजदूर विवश पद चला रहा। प्रगति की बात हुई बेमानी इन दशकों में भूल गए हैं। वापस लौट रहे सब घर को छोड़ शहर की शान निराली जन्मभूमि की मृदा को छूने पैदल ही चल पड़े बली
साहस की ऐसी प्रतिमूर्ति बैल को भी है बल लग जाए हज़ार मील की दूरी भी इनके पैरो तले समय पद अर्थ दलित पिछड़ों का विकास दुख दर्द दूर करने की बात हम दशकों से भूल गए है। हमने साधन सब जुटा लिए हिंसा से लड़ने की खातिर प्रतिद्वंदी सरकारों की टक्कर में रिश्ते जग में विस्तार किए पर तुमने कभी न विचार किया यह जग - जन सुखमय परिवार बने हों शांत स्वस्थ भरपेट रहें खुशहाल धरातल सारा। हम दशकों से भूल गए हैं।
-कमल चन्द्र शुक्ल
