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आरोग्य सेतु की कुंजी से, हर्ष की बेला आ गई। पूरण बंदी ख़तम हुई, कलियां सारी खिल गई। गली, सड़क हरियाली छाई, किसलय सब हंसने लगे। होली सी मस्ती जन - मन में, आम में बौर बढ़ने लगे।
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रेल चल पड़ी धीमे धीमे,
सरपट भागी कार।
सुबह न्यूज पेपर मिला,
खुशियां भरी अपार ।
संग दादाजी की सुबह को,
कर ली सैर सपाटी |
वर्चुअल गगन में पढ़ लिया,
आज़ादी की परिपाटी।
शाम समय पूजा करी,
मां शारदे सहाय।
चीनी को सद्बुद्धि दो,
हे अंब विमल मति पाय।
जो पड़ोस अच्छा रहे,
गुरू नानक की राय।
जीवन सुखी सदा बने,
दुख सपनेहु न आय।
-कमल चन्द्र शुक्ल

