कर्फ्यू की शाम

ये करोना है भयानक
त्रासदी का  कारखाना
जो न संभले अब तलक तो
ख़ाक होगा जीम _खाना
पागल प्रलय की तलहटी से
यह  जो निकला चीन तक्षक
राक्षस बड़ा वीभत्स है
दुनिया में दिखता ध्वंस है।
वो तो अपनी नासमझ बस
कहें जी ! हम न करो ना
नाम चीनी अल्पसंख्यक
जो किया जी खुद करो न
आओ समझ लो दोस्तों
पर दोष देना छोड़ दें
कुतर्क जाल से दूर रहकर
हम एक एक ग्यारह की सोच लें
जनता कर्फ्यू की शाम में
देशवा के बाहर खदेड़ दे

-कमल चन्द्र शुक्ल

Published by kamal shukla

जन्म स्थान- प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश . इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए. एवं एम. ए. (हिंदी) , राजर्षि टंडन विश्वविद्यालय से एम. ए. (शिक्षा शास्त्र), फरवरी 2000 से केन्द्रीय विद्यालय संगठन मे स्नातकोत्तर शिक्षक के पद पर कार्यरत।

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