मेरी दृष्टि में:स्वाधीनता

नूतन कंठ से स्वाधीनता का राग सुनाती हूँ
अंतर्मन में छिपी भावना सबको बतलाती हूँ।
स्वाधीनता है अधिकार श्रम का फल पाने का,
स्वाधीनता है अधिकार शोषकों की धज्जियां उड़ाने का,
शोषकों को गले लगाने का
ऊँच, नीच ,कुल, जाति, रंग के भेदभाव मिटाने का
रूढ़िवाद के कलुषित महल ढहाने का ।
है स्वाधीनता शिक्षा, न्याय और रोजगार पाने का
है स्वाधीनता निःसंकोच,निर्भय होकर अपनी बात बताने का
सब मान सकें अपने धर्म को,
स्वतंत्र भ्रमण कर पाने का।
स्वाधीन मनुज भूधर हिला सकता है
इस भूतल पर भी स्वर्ग ला सकता है
लड़कर भूख, भ्रष्टाचार, लाचारी से,
अपने अस्तित्व को बचा सकता है।
है चाह यही मेरी, आज़ादी का मर्म सब जाने
न करें दुरुपयोग इसका,
आज़ादी के अस्तित्व को मानें।

-कमल चन्द्र शुक्ल

Published by kamal shukla

जन्म स्थान- प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश . इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए. एवं एम. ए. (हिंदी) , राजर्षि टंडन विश्वविद्यालय से एम. ए. (शिक्षा शास्त्र), फरवरी 2000 से केन्द्रीय विद्यालय संगठन मे स्नातकोत्तर शिक्षक के पद पर कार्यरत।

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