मुझे कुछ कहना है……

मुझे कुछ कहना है
देश के युवाओं से
विद्यार्थियों और किसानों से
कि कर्मपथ कठिन है
प्रस्तर युक्त है
विधि की तमाम विडंबनाओं से युक्त है
लेकिन
तुम्हें कभी भी विषम परिस्थितियों के सम्मुख
झुकना नहीं है।
विनत भाव स्वीकार्य है
परंतु अपराजिता सिर्फ़
सत्य का स्वरूप है
जिसमें भव्यता का महिमामंडन होता है।
हे मेरे आलोक!
तुम विचलित मत हो
जीवन की कठिनाइयों से
दुर्गम और अगम रास्तों के बीहड़ों से
क्योंकि
सुबह की मुस्कान
ऊषा का आगमन शनैः -शनैः होता है
गहन अज्ञान के बाद
ज्ञान का ज्योर्तिपुंज उदित होता है
गहरे स्यात काले अन्यायों से
अनवरत संघर्ष करके
यूँ कभी हार भी जाओ तो
एक क्षणदा
व्यथित मत होना
तैयार हो जाना
नई संचेतना के साथ
वीणा के नए सप्त स्वर बजाने के
मेरा कहना
मान लो
गिरना मुख्य नहीं है
मुख्य है संभलना
मैंने यह सीख
अपने ही पूर्वजों से ही पाई है
अपना ख़्याल रखना। 

-कमल चन्द्र शुक्ल

Published by kamal shukla

जन्म स्थान- प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश . इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए. एवं एम. ए. (हिंदी) , राजर्षि टंडन विश्वविद्यालय से एम. ए. (शिक्षा शास्त्र), फरवरी 2000 से केन्द्रीय विद्यालय संगठन मे स्नातकोत्तर शिक्षक के पद पर कार्यरत।

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